Truthful

Finding my flow
2023-02-21 11:18:40 (UTC)

poem

कोई हक़ तो मैंने नहीं जताया
राज़ भी कभी कोई नहीं छुपाया
फ़क़त हमेशा दिल का हाल बताया...
जो तुमको हो पसंद वही गीत गाया...
तुमने जाना नहीं, माना नहीं, न कोई क़दर की
न समझे, न एहसास किया, न ख़ैर-ख़बर ही ली
मैंने खुद अपने टूटे-बिखरे दिल के टुकड़ों तो समेटा है
अब धीरे-धीरे उन्हें जोड़ने में लगा हूँ
कभी हुआ करते थे बहुत लेकिन
अब मुझे गिला, शिक़वा, शिकायत नहीं
तुम्हारे बिन जी ही न सकूँ,
ऐसी भी कोई मेरी नामाकूल आदत नहीं

मुझे ख्वाबों को सँजोना आता है
मुझे उम्मीद को पालना आता है
मुश्किलों से जूझते हुए आगे बढ़ना मुझे आता है
दर्द मिले फिर भी मुस्कुराऊँ यह हुनर मैंने

मुझे मालूम है क्या मेरे फ़र्ज़ हैं ?
मैं भूला नहीं किनके कितने मुझ पर क़र्ज़ हैं
और यही काफ़ी ज़िन्दगी से जूझने के लिए
तक़लीफ़




Ad: