rohit_420
My Real Life
सुहागरात
तुमने मेरी मांग भरी,
तुमने मुझे मंगलसूत्र पहनाया,
उस रात मैं तुम्हारी दुल्हन बनी,
तुमने मुझे अपना बनाया,
सजाये मैंने कितने सपने,
कितने अरमान मैंने सजाये,
मैंने तुम्हे पाकर,
खुद को किस्मत से नवाजा था,
पर मुझे क्या पता था,
तुमने मुझसे रिश्ता किया था,
अपनी हवस मिटाने के लिए,
मेरे ज़िस्म को नोच खाने के लिए,
हर रात जब तुम मेरे करीब आते हो,
हर रात जब तुम मुझे छूते हो,
कहते हो ये सुहागरात हैं,
तुम तो कहते हो मैं प्यार निभा रहा हूँ,
पर क्या जाना हैं तुमने मेरे ज़ज्बात को,
क्या कभी देखा हैं मेरे हालात को,
क्यों तुम हर रात मुझपर इतनी वहशियत ढाते हो,
ऐसा लगता है मुझे जैसे रहती हूँ मैं,
किसी भेड़िये की आगोश में मैं,
नोचते हो तुम मेरे ज़िस्म को,
उधेड़ते हो मेरी आत्मा को,
करते हो घायल मुझे तुम,
कभी तुमने मुझे प्यार दिया,
नहीं तुमने सिर्फ अपना हक जताया मेरे ज़िस्म पर,
बनाकर लाये थे तुम अपनी पत्नी,
शायद कोई खिलौना लाये थे तुम,
जो हर रात सुकून दे सके अपने ज़िस्म से,
कभी पूछा है तुमने मुझसे,
क्या मैं तैयार हूँ इस रिश्ते के लिए,
क्या तुमने देखा हैं मेरे दर्द को,
नहीं बस तुम अपनी मर्दानगी दिखाओ रात को,
मैं भी सह लेती हूँ तुम्हारे इस हवस को
किसी तवायफ़ की तरह........
Mam Rinku Taunk जी ये कविता लिखी है मैंने कृपया अपनी प्रतिकिया ज़रूर दे.....!
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