rohit_420

My Real Life
2022-11-19 07:44:07 (UTC)

वो बरसात

शायद उस दिन,
जब हम मिले थे,
हमे नहीं मिलना था,
ना हम मिलते उस दिन,
ना मैं तुम्हे देखता,
ना तुमसे बात करता,
अंजान रहता उस दिन मैं तुमसे,
तो आज ,
ना तुम्हे बंधन होता,
ना मुझे कोई शिकवा होता तुमसे,
क्यों हम दोनों मिले उस दिन,
क्या दिन था, क्या वक़्त था,
ये तो याद नहीं,
बस ये याद हैं,
वो दिन था रोज़ की तरह,
जब तुम बारिश में भीगती हुई,
खड़ी थी उस वीरान रास्ते में,
और मैं उस रास्ते से घर जा रहा था,
तुम्हे देख कर ना जाने क्यों मैं खुद रुक गया,
और इंतज़ार करने लगा बारिश के बंद होने का,
और हम दोनों ने एक दूसरे से बात शुरू की,
नाम, पता, और काम ये पुछ लिया एक दूसरे से,
बारिश में भीगते हुए ना जाने क्यों एक दूसरे के साथ,
घर को चल पड़े,
फिर तुम मेरा इंतज़ार करने लगी मेरा उस रास्ते पर,
और ये सिलसिला इश्क़ का शुरू हो गया,
दोनों का मिलना और एक दूसरे से बाते करना,
फिर धीरे धीरे इश्क़ की नई कहानी,
लिखने लगे हम दोनों,
और आज ये सोचते है हम दोनों,
शायद हम उस दिन ना मिले होते,
ना बात करते, ना बात आगे बढ़ती,
शायद उस दिन बरसात ना होती......!


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