rohit_420

My Real Life
2022-11-18 16:21:53 (UTC)

दर्द

ये किस्सा है हर रात का,
मेरे दर्द का, तुम्हारी हवस का,
हर रात क्यूँ ना जाने मैं एक डर से जीती हूँ,
क्यूँ ना जाने मैं खुद को तुम्हारे सामने समर्पित करती हूँ,
तुमने मुझे अपनी पत्नी बनाया था,
और मुझसे एक वचन दिया था,
मेरे मान की, मेरे सम्मान की,
रक्षा तुम्हारे हाथो में हैं,
एक भरोसा किया हैं मैंने तुम पर,
तुम मुझे बचाओगे हर उन निगाहों से,
जो मुझे खा जाने को देखती हैं,
तोड़ दोगे हर उन हाथों को,
जो मेरी आबरू को तार तार करने के खातिर,
मेरी ओर बढ़ते हैं,
लेकिन.........!
क्यों हर रात तुम मुझे अपने बिस्तर पर सजाते हो,
क्यों मुझे दबा कर मेरा शोषण करते हो,
माना कि मैं तुम्हारी पत्नी हूँ,
तुम्हारा हक़ है मेरे जिस्म पर,
पर क्यों मैं हर रात तुमसे डरती हूँ,
क्यों नही सह पाती हूँ उस दर्द को,
जब तुम नोचते हो मेरे बदन को,
अपनी हवस मिटाने के लिए,
नही बक्शा तुमने मुझे उन रात में भी,
जब मैं खुद गुज़रती हूँ एक अनजाने दर्द से,
क्यों तुम मुझे देते हो तक़लीफ़ हर रात को,
पहना कर मंगलसूत्र, डाल कर सिंदूर मेरे मांग में,
लाये थे तुम मुझे अपने घर में,
या यूँ कहे मेरी बर्बादी के कोठे पर,
जहां हर रात तुम मेरे साथ तो थे,
पर ना जाने क्यों तुमसे मैं डरती हूँ,
मैं हूँ तुम्हारी अर्धांगिनी,
पर क्या सच में तुमने मुझे अपना आधा अंग माना हैं,
क्यों हर रात बिस्तर पर तुम मुझे यूँ घसीट लेते हो,
जैसे कोई शिकारी अपने शिकार को दबोच लेता हैं,
मेरे मान को, मेरे सम्मान को, तुमने
हर रात को तार तार किया,
और फिर सुबह होते ही तुमने मुझे,
वो सब भूलने को कह दिया,
कहाँ फ़रियाद करूँ मैं,
कहाँ शिकायत करूँ,
बताओ मुझे.....?
हर रात को होने वाले,
मेरे बलात्कार की.....?

Pic credit:- Google images/rape_victim
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