rohit_420
My Real Life
प्रणय रात
कर रही है सजनी,
इंतज़ार अपने साजन का,
उस कमरे में,
जहां सजी है सेज़,
प्रणयबेला की,
आखिर आ ही गयी वो रात,
जब मिलन होगा दो आत्माओं का,
दो ज़िस्म एक दूसरे में समा जाएंगे......
हां ये रात बड़ी है बैचैन करने वाली,
क्योंकि ये है प्रणयबेला की रात,
करके सोलह श्रृंगार सजनी,
निहार रही है खुद को आईने में,
और शरमा रही हैं, खुद से.....
फिर कुछ देर बाद अचानक,
खुला दरवाज़ा हौले से,
और रुक गयी साँसे सजनी की,
चेहरे पर रंगत हया की, और निखर गई,
ढँक कर मुखड़ा अपना वो,
प्रणय सेज पर बैठ गई,
आकार साजन भी हौले से,
बैठ गया पास में सजनी के प्रणय सेज पर,
शरम हैं दोनों के दरमियाँ,
कुछ है हया दोनों के दिल में,
आखिर कैसे करे पहल दोनों,
प्रणय के बातों की,
कुछ हया ने रोका हैं दोनों को,
कुछ लाल है चेहरा दोनों का शरम से,
आखिर में कुछ देर बाद साजन जी ने,
उठा दिया घूँघट सजनी के चेहरे से,
क्या रूप निखर रहा हैं,
जैसे उतर आया हो महताब,
आसमाँ से उस प्रणयसेज़ पर,
उतार कर नौलखा हार, सजनी के गले से,
चूम लिया उसके माथे को साजन जी ने,
निकाल कर नथनी को,
भर लिया साजन ने आगोश में,
खोलकर कमरबंध सजनी का,
कुछ मदहोश हुए है साजन जी,
ना जाने कहाँ खो गया होश दोनों का,
बस निढाल हुए दोनों प्रणय सेज़ पर,
अब तो शायद दोनों के दिल में
भड़क उठी है ज्वाला काम की,
ना दोनों को होश हैं,
ना दोनों को सब्र हैं,
है दोनों के ज़िस्म एक दूसरे के आगोश में,
बस नहीं है तो दोनों किसी होश में,
चूमकर लबों को दोनों एक दूसरे के,
कर रहे हैं रसपान एक दूसरे का,
शायद यही तो शुरुआत हैं प्यार की,
दोनों के दरमियाँ,
धड़क रहे हैं दोनों के दिल,
और कुछ है खुमारी दोनों के दरमियाँ,
वो हलकी हलकी रौशनी मोमबत्ती की,
कर रही रात को और जवां......
दोनों के दिल में है एक आग प्रणय क्रिया की,
और यही हाल हैं दोनों का प्रणय सेज़ पर,
दोनों गम हैं एक दूसरे के आगोश में,
बस कुछ नहीं है बाकी प्रणय के सिवा होश में.....!
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