rohit_420
My Real Life
बलात्कार
मैं चीखती रही, में चिल्लाती रही,
उन हैवानो से रहम की भीख मांगती रही,
पर शायद उन जानवरो को सुनाई ना दी मेरी आवाज,
ना उन्होंने देखे मेरे आँसूओ को,
बस नोंचते ही रहे मेरे बदन को,
कभी मेरी छाती खोल दी,
कभी मेरे बदन को नंगा कर दिया,
जब जी नहीं भरा इन दरिंदो का मुझसे,
तो मुझे फिर से नोंच लिया,
मैं रोती रही, दर्द सहती रही,
पर उन दरिंदो ने मुझपर ज़रा भी रहम ना दिखाई,
उनको बस दिख रहा था, एक उघारा बदन,
जिसे नोंच रहे थे, मेरे बदन को टटोल रहे थे,
कभी उनके हाथ आते थे मेरे स्तन पर,
कभी मेरी कमर में उसकी छुअन महसूस होती रही,
मेरे आँसू भी बहते रहे, मैं अपनी बर्बादी को सहती रही,
सह गयी मैं अपने पर होने वाले हर ज़ुल्म को,
क्योंकि मेरे नसीब में शायद यही लिखा था,
कोई हैवान था, जो मुझे नोंच रहा था,
क्या गुनाह था मेरा, क्या मेरी खता थी,
मेरे बदन में कितने ज़ख्म हुए, कितना दर्द मैंने सहा हैं,
कैसे बोलूं मैं ज़माने में, कि एक रोज़ मेरा भी बलात्कार हुआ हैं,
किससे माँगूँ मैं इंसाफ, किससे करूँ मैं फरियाद,
क्योंकि मुझे पता हैं, ख़ता मेरी थी,
मैं एक लड़की हूँ.....!
काश मुझे ये लिखना नहीं पड़ता, पर क्या करूं आज कल हर अखबार, हर news channel में बस यही मिलता हैं.....!
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