rohit_420

My Real Life
2022-11-17 08:40:10 (UTC)

वो चार लोग

वो चार लोग,
जिन्हें मैं जानता नहीं,
जिन्हें मैंने देखा भी नहीं,
पर फिर भी ना जाने क्यों,
वो चार लोग मेरी ज़िंदगी मे दख़ल देते हैं,
जिनके बारे में मुझे कुछ पता नहीं......!

शायद उन चार लोगों को,
किसी ने तो देखा हो,
किसी ने तो जाना हो,
या कोई तो ऐसा हो,
जो मुझे उन चार लोगों से मिला दे,
तो मैं पूछूँ उन चार लोगों से,
कि भाई क्या तकलीफ है तुम्हे,
क्यों हर दम मेरे पीछे पड़े रहते हो,
क्यों तुम चार लोग ही,
मेरी ज़िंदगी मे दख़ल देते हो,
क्या और कोई काम नहीं हैं तुम्हे,
जो तुम मेरी हर बात जानते हो.....!

क्या मिलता हैं तुम्हे,
मेरी ज़िन्दगी में दख़ल दे कर,
सुबह उठने से लेकर, रात में सोने तक,
बस परेशान रहता हूँ,
तुम चार लोगों से,
आखिर क्या चाहते हो,
खाना छोड़ दूं मैं,
नौकरी में जाना छोड़ दूँ मैं,
घर मे आना छोड़ दूँ मैं.....!

क्योंकि जब मैं छोटा था,
चाहे मेरा result बिगड़े,
या किसी खेल में हार जाऊं,
तो तुम चार लोग बातें करते रहे मेरे बारे में,
कुछ होश संभाला मैंने,
दोस्तो के साथ घूमने जाऊं,
या girlfriend को coffee house में coffee पिलाऊँ,
तो तुमचार लोग मुझपर नज़र रखते थे,
फिर कुछ और समझ आई,
नौकरी में गया, माना गलतियाँ की मैंने कई,
पर कुछ नया सीखने के लिए....!

लेकिन तुम चार लोग बाज़ नहीं आये अपनी आदत से,
आज भी मैं डरता हूँ तुम चार लोगों से
कहीं तुम चार लोग फिर टांग अड़ा दो,
निवेदन हैं हाथ जोड़कर हे! चार लोग तुमसे,
कुछ तो शर्म कर लो, मत रखो मुझपर नज़र,
कहीं ऐसा ना हो, मेरे सब्र का बांध टूट जाये
और भरे बाज़ार में, मैं तुम चार लोगों को जूते लगा जाऊं,
अब तो जी रहा हूँ मैं खुद के तरीके से,
क्योंकि मुझे पता हैं तुम हो बड़े बेशर्म प्राणी....!




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