rohit_420

My Real Life
2022-11-17 08:29:42 (UTC)

घर पूछता है

बहुत से ऐसे सवाल,
शायद जिनके जवाब नहीं है मेरे पास,
आखिर क्यों बंद चार दीवारी में,
छोड़ दिया घर को तन्हा,
बनाकर एक मकान....!
ना जलते अब चिराग है,
ना रोशन होता रोशनदान,
ना आती अब धूप हैं,
ना बिखरता हैं कोई सामान,
8 महीने से ज़्यादा हो गए,
बंद करके ताला गए,
आखिर क्यों बंद चार दीवारी में,
छोड़ गए घर को तन्हा,
बनाकर एक मकान....!
माना गुनाह किया अपनो ने ही,
किया फ़रेब तुमसे अपनो ने ही,
पर क्या थी मेरी ख़ता,
जो कर गए तुम मुझसे किनारा,
रोया में उस रोज बहुत,
जब तुमने जाते हुए, मुड़कर ना देखा,
बचपन देखा तुम्हारा मैंने,
देखा तुम्हारा यौवन,
पतझड़ में भी तुम मेरे थे,
साथ मे था वो सावन,
पर उस रोज जब तुम गए छोड़ कर,
ना जाने क्यों मेरी दीवारी दरक उठी,
नींव भी हिल गयी,
जैसे मुझमे जान ही ना बची,
आखिर क्यों बंद चार दीवारी में,
छोड़ गए घर को तन्हा,
बनाकर एक मकान....!




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