rohit_420

My Real Life
2022-11-17 08:26:21 (UTC)

10 साल की गुड़िया

वो 10 साल की गुड़िया,
नादान हैं, थोड़ी परेशान हैं,
अपने ज़िस्म में होने वाले परिवर्तन से,
वो बिल्कुल अनजान हैं....!
बताती है अपनी बड़ी बहन को,
दीदी पेट दुखता हैं,
बहुत ज़्यादा मुझको दर्द होता हैं,
बहन समझदार हो गयी हैं,
जान गई है क्या तकलीफ हुई है,
पर फिर भी वो खामोश हैं,
क्या बताये गुड़िया वो तुझे,
कि तेरी परेशानी का सबब क्या हैं,
तू ज़िद्दी हो थोड़ी, थोड़ी चंचल हैं,
पर तुम्हारे ज़िस्म में हो रही हलचल हैं,
कैसे कहें वो तुझसे, तुझे मासिक आया हैं,
क्या बताये तुमको वो, क्यों तुम्हारा पेट दुखा हैं,
बहन ने बताया हाँ ये दवाई खा लो गुड़िया,
दर्द ठीक हो जाएगा,
फिर तेरा पेट भी ना दर्द करेगा,
गुड़िया नादान हैं,
बहुत सारी बातों से अनजान हैं,
कुछ काम मे बंदिश लगा दी हैं,
ना छूना उसे ये हिदायत दी हैं......
सहना सीख जा गुड़िया इस दर्द को,
जो अब हर महीने तुझे हुआ करेगा,
समझ लेना कुछ बातों। को अब,
बार ना तुझे कुछ कहना पड़ेगा......!


ये कविता लिखने का उद्देश्य हैं, कि हम अपने घर के बच्चों को उनके शरीर मे होने वाले परिवर्तन के बारे में प्यार से समझाए,
क्योंकि कल मेरे बहन की एक छात्रा ने बहन को बताया, कि दीदी मेरे पेट मे अचानक से दर्द होने लगा हैं, और कुछ गीला सा लग रहा हैं, किंतु वो गुड़िया इस बात से अनजान थी कि उसे ये बाते किसके सामने कहना था और किसके सामने नहीं.....!
फिर जब मेरी बहन उसे bathroom से लेकर आई तो हर बात समझ आ गयी, कि उस नादान गुड़िया की क्या परेशानी हैं,
लेकिन उस गुड़िया को कैसे समझाय कि उसे अब ये तकलीफ सहनी ही पड़ेगी. .....!




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