rohit_420

My Real Life
2022-11-17 08:22:03 (UTC)

पुलवामा के शहीद

कहना मेरी माँ से जाकर मेरे घर,
लड़ रहा हूँ मैं एक ऐसी जंग,
गर जीत गया तो तिरंगा हाथ मे लाऊँगा,
गर हार गया तो तिरंगे पर लिपट कर आऊँगा,
माँ तुम इंतज़ार करना एक रोज़ लौट कर आऊँगा....!

कहना मेरी पत्नी से जाकर मेरे घर,
करेगी वो मेरा इंतज़ार शायद रात भर,
क्योंकि जब मैं लौटूंगा,
तो शायद या तुम्हारी मांग फिर से सजाऊँगा,
या फिर तुम मुझे सोते हुए अपने गले से लगा लेना,
पर तुम इंतज़ार करना एक रोज़ लौट कर आऊँगा....!

कहना मेरे पिता जी से जाकर मेरे घर,
बाबा कर लो थोड़ा सा और इंतज़ार,
लौट कर आऊँगा गर चलकर,
तो तुमको चार धाम ले जाऊँगा,
गर आया किसी साथी के काँधे पर,
तो तुम ले जाना मुझको हरिद्वार.....
पर तुम इंतज़ार करना एक रोज़ लौट कर आऊँगा....!

कहना मेरी बहन से, जाकर मेरे घर,
सुन बहन गर लौट आया जीते जी,
तो राखी का हर मोल चुकाऊँगा,
ढूँढूँगा दुल्हा तेरी खातिर, तुझे डोली में बैठाऊँगा,
गर ना लौटा अपनी साँसों के साथ,
तो तू भी आना मेरे अर्थी के साथ,
देना मुझको विदाई, चाहे तो हो जाना नाराज़,
पर तुम इंतज़ार करना एक रोज़ लौट कर आऊँगा....!

कहना मेरे भाई से, जाकर मेरे घर,
कि ना कर तू फ़िकर,
माँ, बाबा, भाभी, बहन की,
क्योंकि गर मैं लौट आया सलामत तो,
तुझे कोई फ़िकर ना करने दूंगा,
गर लौटा मैं लिपट तिरंगे में,
तो तुझे बहुत ही फ़ख्र होगा,
धयान रखना तू अपनी पढ़ाई का,
आना देश के काम तू,
पर तुम इंतज़ार करना एक रोज़ लौट कर आऊँगा....!

कहना मेरे बच्चों से जाकर मेरे घर,
पापा गए है बाजार, लाएंगे खिलौने,
टॉफी, आइसक्रीम तुम्हे खिलाएंगे,
नादान है मेरे बच्चे, ना छलकाना आँसू,
बस कह देना उनसे बेटा, पापा ने किया है वादा
वो ज़रूर लौट कर आएंगे.....!




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