rohit_420

My Real Life
2022-11-17 08:18:57 (UTC)

स्त्री

ढकीं हुई है शरम और लिहाज से,
एक औरत है वो.....
खुद की ज़िन्दगी किसी और को समर्पित,
एक औरत है वो.....
जन्म लेती है पिता के घर,
अर्थी पिया के घर सजती हैं,
सोलह श्रृंगार जो बस अपने,
प्रियतम के खातिर करती हैं....
देती है जन्म किसी के अंश को,
सींचती है नौ माह अपने लहू से,
पिलाती है दूध अपने स्तन से,
और रखती है उस बच्चे को कोख में,
सहती है पीड़ा प्रसव की,
नई ज़िन्दगी को जन्म देती हैं,
पर अपने बच्चों पर कभी,
वो आंच ना आने देती हैं.....

एक औरत है वो.....
जो खुद को भुला देती हैं,
अपनी हस्ती मिटा देती हैं,
बिखेर देती है ज़िन्दगी अपनी,
दूसरों की खुशियों में,
पर अपने दुखो को खुद,
वो हरदम सहती हैं.....

एक औरत है वो.....
लेती है सात फेरे जिसके साथ,
उसकी खातिर वो यमराज से भी लड़ जाती हैं,
कर देती है काल को भी पराजित,
लौटा वो प्राण अपने सुहाग के लाती हैं.....
करती है हर ख़्वाहिश पूरी, रात भी रंगीन सजाती है,
लुटा देती है अपना सर्वस्व अपने प्रियतम पर,
खुद में पूर्ण हो जाती है.....

एक औरत है वो.....
जो माँ, बहन, पत्नी, बेटी, और ना जाने,
कितने किरदार निभाती हैं.....!


कहते है कि हर कामयाब इंसान के पीछे एक औरत का हाथ होता है, मेरी ज़िंदगी मे वो हाथ बहुत सी औरतों का था,
क्योंकि मुझे माँ के रूप में एक दोस्त, एक शिक्षक मिली,
बहन ने भी मुझे हमेशा हौसला दिया
मेरी शिक्षिकाओं ने मुझे वो शिक्षा दी कि मैं कभी हार मानने का मौका नहीं मिला.....
एक बहुत अच्छी लड़की मिली, जिसनें मुझे बहुत सहारा दिया.....!
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