rohit_420

My Real Life
2022-11-16 19:31:11 (UTC)

Call girl

कभी सिसकियों में दबती आवाज़ें,
तो कभी बन्द कमरों बेलिबास होती मासूमियत,
कभी पेट की भूख की खातिर लुटती है,
कभी बच्चों की परवरिश मजबूर कर देती है,
एक सीधी सादी लड़की को call girl बनने पर...!

जैसा फिल्मों में देखा है हमने,
कभी वैसा होता नहीं,
कोई अपने ज़िस्म को बेचती नहीं,
अपनी खुशियों की खातिर,
मज़बूरी होती है साहब,
एक लड़की को call girl बनने पर...!

कभी माँ की दवाई का खर्च आता है,
तो कभी बाप के कर्ज़ तले दबती है,
मजबूर होकर एक सीधी सी लड़की,
बन्द कमरों में call girl बनती है...!

चंद 100-200 रुपये की खातिर,
अपनी बेशकीमती अस्मत बेचती है,
क्या देखा है झांक कर उसके दिल मे,
क्यों एक लड़की call girl बनती है...!

फिल्मों में दिखा देते है हवेलियों में रहती है,
पर सच्चाई तो ये है साहब,
उस मज़बुरी को 6*8 के कमरे में,
एक पूरी ज़िंदगी गुजरती है...!

रंगीन रात भर रहती है,
पर हक़ीक़त ये है साहब,
हर पल हर दिन वो एक call girl,
खुद को मार कर जीती है...!

जानती है उसकी कीमत लगेगी हर रात की,
पर उन बेशर्म रातों में होकर मजबूर वो,
बंद कमरों में घुट घुट कर मरती है,
सहती है ज़ख़्म वहशियत के अपने ज़िस्म पर,
तब अगली सुबह वो पेट परिवार का भरती है...!

सुनो कभी मत देना गाली उन मज़बूर लड़कियों को,
जो पेट की आग के खातिर, ज़िस्म को ठंडा करती है,
होकर मज़बूर हालातो से जीने की खातिर,
एक लड़की मज़बूरी में call girl बनती है।।।

सत्य लिखा है, और अपने शब्दों में लिखा है,
अगर किसी को आपत्ति है तो कृपया कमेंट में बताए

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