rohit_420

My Real Life
2022-11-16 19:11:20 (UTC)

Poem 3

*विषय:- स्त्री होना आसान नहीं*
*विधा:- कविता*

लेकर जन्म देह स्त्री की,
अपना जीवन जीना आसान नहीं,
बनकर स्त्री इस दुनिया में,
रह पाना इतना आसान नहीं..!

कभी बनकर सीता के जैसे,
भोगना वनवास आसान नहीं,
कभी बनकर द्रौपदी की तरह,
चीर हरण सहना आसान नहीं...!

रख कर 9 माह कोख में एक जान को,
माँ बन पाना आसान नहीं,
पिला कर लहू अपने सीने का दूध बनाकर,
किसी नवजात का उदर भरना आसान नहीं...!

बनकर प्रेमिका किसी पुरुष की,
समर्पण सम्पूर्ण खुद का करना आसान नहीं,
बनकर भार्या किसी पति की,
अपने देह को भुलाना आसान नहीं...!

बचपन से सुना है जीना आसान नहीं,
पर शायद स्त्री बनकर तो मरना भी आसान नहीं,
कुछ बातों को यूं भुला देना
रजस्वला का दर्द हँसते हुए सहना आसान नहीं....!

जब हो जाये जब घाव अस्मत पर कभी,
तो खुद को समझाना आसान नहीं,
आसान होना भी होता है आसान नहीं..!

पूजी जाती है दुर्गा काली की मूरत,
पर स्त्री बनकर पूजा जाना आसान नहीं...!

*द्वारा लेखन:- रोहित शर्मा*

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