Truthful

Finding my flow
2021-03-30 12:39:35 (UTC)

यूँ ही

अरे भई! मैंने बिल्कुल साफ़ कहा था, शदीद कहा था, पूरी ईमानदारी से कहा था और उसने सुना भी ज़रूर होगा !
हाँ, मैंने ज़ोर से नहीं कहा, शोर मचा कर नहीं कहा, बार-बार नहीं कहा और शायद उसने तवज्जो के साथ सुना नहीं होगा !
बात आयी-गयी होगी, कुछ असर हुआ नहीं, कहने को कुछ रहा नहीं, और अब उम्मीद भी नहीं की कभी कुछ होगा !
ग़लती मेरी थी या उसकी ?
कुछ ग़लत हुआ भी कि नहीं ?
कुछ न होना ही शायद सही रहा ?
बेवजह की बातचीत भी वक़्त की बर्बादी है ना...
बेकार की उम्मीद भी टूटी तो अच्छा ही रहा ना...
शायद मुझे कम बोलना चाहिए लेकिन...
उसके लिए ज़रूरी है कम सोचा जाए...
क्या मैं ऐसा कर सकता हूँ ?
क्या मेरा अपने ज़हन पर यह इख़्तियार है ?
क्या मुझ में कैसा कर पाने की क़ाबिलियत है ?
चलो, जो हुआ अच्छा हुआ ! जो होगा अच्छा होगा !




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