SHIVAM SEN
EK PYAR EK DARD
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2019-11-02 18:34:03 (UTC)
EK PYAR EK DARD
लोग कहते हैं धीरे धीरे बदल रहा हूँ मैं, उन्हे ये नहीं पता की धीरे धीरे मर रहा हूँ मैं, मजाक बना कर रख दिया है इस जिन्दगी ने मेरा, फिर भी ना जाने क्यूँ जी रहा हूँ मैं, एक सुकून की तलाश में ना जाने कितना बेचैन हूँ मैं और लोग कहते हैं बदल रहा हूँ मैं, जिन्दगी इतनी भी बुरी नही मेरी की मर जाऊँ मैं मगर लोग इतने दर्द देते हैं की जीते जीते भी मर रहा हूँ मैं, सारा दिन गुजर जाता है खुद को संभालने में और रात को फिर क्यूँ उसकी याद में बिखर जाता हूँ मैं
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