rohit_420
My Real Life
2018-01-14 12:10:26 (UTC)
दीवार
ना जाने कैसी दीवार खिंच गई आज,
दो भाइयो में, बस पिता की जायदाद की खातिर....
बड़े का कहना था, पहला हक़ उसका हैं, जायदाद में,
तो छोटा कहता हैं, मुझे भी हिस्सा ज़्यादा चाहिये,
और रो रहे हैं, दो बुज़ुर्ग घर के कोने में बैठकर....
जो उनकी असली जायदाद थी, बंट गयी आज,
दो हिस्सों में, एक अनदेखी दीवार के बीच में,
कैसे तोड़े इस दीवार को,
जिसको मजबूती मिली थी, घर के झगडे से,
घर की कलह से जिसको सींचा था,दोनों भाइयो ने...
बचपन में साथ खेले, साथ खाएं,
अब बस ईमान हैं दोनों का बस हिस्सा जायदाद का,
क्यों आज सूख गए आंसू दोनों के,
क्यों आज खिंच गयी एक दीवार घर के बीच में,
जो दिखती नहीं, जो टूटती नहीं,
बस बढ़ रही हैं ये दीवार दोनों की नफरत के साथ.....!
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