alka

personal
2014-03-10 04:48:03 (UTC)

two liner

Us Ki Aankhen Bala Ki Taajir Hain
Jis Ko Dekheyn Khareed Leti Hain

किन लफ़्ज़ों में बंया करूँ मैं अपने दर्द को
सुनने वाले तो बहुत है मगर समझने वाला कोई नहीं..

वो कहता रहता है मजबूरियां हैं वक्त की ..
साफ़ लफ्जों में खुद को बेवफा नहीं कहता ।।




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