Truthful

Finding my flow
2013-06-05 14:46:31 (UTC)

for my birthday

उम्र बढ़ती रहती है और वक़्त हाथों से छूटा जाता है।
ज़िन्दगी और मौत का फासला लम्हा-दर-लम्हा घटता जाता है।
होश थम-थम के आता है, फ़ना होने की चाहत में, दिल अक्सर मचल जाता है।

हर साल की तरह आज के रोज़ फिर सांसें बोझिल हो रहीं है और गला रुंध सा जाता है।
कहना मुश्किल है की मैं खुश हूँ या नहीं पर इतना प्यार पाकर मन बावरा -सा ज़रूर हो जाता है।
रोक लेती हूँ इस दिल की बेकरारी कुछ पलों के लिए, यह देख की मेरे होने पर भी कोई जश्न मनाता है।


2013-06-02 20:34:31
(posted 2013-06-03 03:35:15)

thoda sabr ker aye zinddagi


umar ki raftar se chal....
ram bharose....
need to learn politics....job or job, who cares!!!!!




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