Truthful

Finding my flow
2012-05-13 18:39:21 (UTC)

yeh bhi meine socha

फिर मंडराए उदासी के बादल, फिर टूटी आशा की डोर
फिर संदेह मन में आया है ,बन कर अँधेरा काला घन-घोर,
फिर छलनी हुआ आत्म-विश्वास,
चकनाचूर हुआ मज़बूती का एहसास
फिर अस्तित्व पर खतरा छाया
फिर से मैंने खुद को तन्हा पाया!
उफ़, एक 'आह' बच गयी है, एक कसक है जो तड़पाती है !
मगर याद भी दिलाती है कि
शायद यह बस एक कमज़ोर लम्हा है...
जो गुज़र जायेगा...

kal ki kal socheinge...
Kahani comdey circus is getting boring now!




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