rohit_420

My Real Life
2017-09-28 14:58:37 (UTC)

वहशियत

गिरा दुपट्टा जो उसके काँधे से,
तो क्यों तुम्हारी आँखों में वहशियत आ गई....?
उसके पहनावे पर तुमने सवाल किए,
क्यों ना इसीलिये तुम्हारी जुबां लड़खड़ा गई....?
जो बचा ना सको तुम उसकी आबरू,
तो क्यों तुम उसकी इज़्ज़त में निगाह डालते हो...?
चेहरे पर रखते हो रौनक,
पर क्यों दिल में कालिख मलते हो....?
देखा तुमने बड़े गौर से उसके सीने को,
क्या मिला तुम्हे निहार कर,
क्यों अपनी वहशियत तुम दूसरे के सर डालते हो...?
कहते हो उसकी गलती थी,
आधा ज़िस्म दिखता हैं उसका,
क्यों तुम ना अपनी आँखों में पट्टी बांधते हो....?
क्या खता है उसकी,
क्यों वो तुम्हारी वहशियत की शिकार बने....?
क्यों तुम उसके साथ सम्बन्ध के ख्याल लाते हो,
क्या हैं पाक दिल तुम्हारा,
जो उसका चरित्र तुम गलत बताते हो....?




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