Truthful

Finding my flow
2015-05-01 10:27:17 (UTC)

kuch likha kya?

ज़िन्दगी, मुबारक तुझे तेरी यह नयी कामियाबी;
मैं देती हूँ तुझे अपनी ख्वाहिशों से पूरी आज़ादी;
मेरा अधिकार नहीं अब कोई भी तुझ पर, न तेरी मेरे गम में तेरी हिस्सेदारी;
तूने भी बहुत कुछ सहा है मेरी खातिर, अब से ख़तम हुई तेरी ज़िम्मेवारी;
दोस्त, तेरा मोह अभी भी जाता नहीं, तेरा साथ कैसे छोड़ं....मुझे यह आता नहीं;
तू ही ले कोई फैसला अब, दे इस कहानी को अंजाम....मेरे त्रस्त मन को तो कुछ अब सुझाता नहीं;




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